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सब्जी किसानों की किस्मत हुई लाक डाउन, आढ़तियों की चांदी

बांदा-डीवीएनए। जिले में सब्जी किसानों की किस्मत लाक डाउन हो गई है। केन और यमुना नदी की तराई में इस वर्ष सब्जियों की बिक्री डाउन होने से उनकी किस्मत पर ताला पड गया है। सब्जियां न बिकने से खेतों में फेंकनी पड़ रही है। टमाटर, कद्दू, लौकी, तरोई, करेली, कुल्फा (मलमला), पालक, ककड़ी, खीरा के दाम घट गए हैं। सब्जी बेंचने में पुलिस की धौंस से बचत का रास्ता चढ़ावा देने पर ही बचत का रास्ता है। करीब 10 गांवों में नदी किनारे सब्जी की बारी लगी है। लेकिन बिक्री ने होने से सब्जी की खेती करने वाले लोग परेशान हैं। कहते हैं कि गांव से बाहर सब्जी भेजने की जुगत नहीं समझ आ रही है।
जिले में सब्जी उत्पादन से जुड़े लोगों को कठिनाइयों का सामना करना पड़ रहा है। उनकी मेहनत को आढ़तिया बिचैलियो लेकर मालामाल हो रहे हैं वहीं उत्पादक व उपभोक्ता दोनो घाटे में हैं। शहर के भूरागढ़ में केन नदी किनारे सब्जी लगाए संतोष निषाद कहते हैं कि बड़ी मेहनत से तरोई, करेला, ककड़ी लगाई। सिचाई में बहुत दिक्कत है। अब लाक डाउन के कारण उनकी मेहनतभर नहीं निकल पा रही। यही हाल तिदवारा के विजय शुक्ला, रमेश मिश्रा बयां करते हैं कहते है कि खेत की सिचाई में बेतहाशा डीजल लगता है। वहीं आढ़तिया माटी मोल लौकी उधार में खरीदते हैं। अगले दिन पैसा देते हैं। समय से माल न बिकने के कारण नुकसान हो रहा है। अतर्रा चुंगी चैराहे पर सब्जी की दुकान किए बनवारीलाल, नत्थू प्रसाद कहते हैं लॉक डाउन में पुलिस उत्पीड़न बढ़ गया है। कैसे गुजारा हो समझ से परे है।
संवाद विनोद मिश्रा

Digital Varta News Agency

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