
इस मंदिर के बारे लोग बताते हैं कि एक अंग्रेज अधिकारी ने मंदिर की प्रतिमा को उखड़वाकर गंगा नदी में फेंकवा दिया। उसके तुरंत बाद ही उस अंग्रेज अधिकारी का पुत्र बीमार होकर मर गया। उसके अस्तबल के सारे घोड़े बीमार होने लगे। अंग्रेज अधिकारी घबड़ाकर प्रतिमा को दोबार उसी स्थान पर स्थापित करवाया तब जाकर उसको शांति मिली। उसके बाद से ही वहां पर माता के दर्शन के लिए लोगों को हुजूम उमड़ने लगा।
यहां पर हर वर्ष नए साल पर भारी मेला लगता है। दूरदराज के लोग माता के दर्शन के लिए यहां पर पहुंचते हैं। वैसे तो अब साल भर माता के मंदिर में श्रदृधालुओं का तांता लगा रहता है। मुंडन से लेकर शादी की सगाई तक के लिए लाेग यहां पर पहुंचने लगे है। कहां जाता है कि यहां मांगने वाली हर मन्नतें मां मंगला भवानी पूरी करती हैं।