
बांदा (डीवीएनए)। भाई यह तो गजब की अंधेर गर्दी है, इस अंधेर गर्दी से डीएम आनन्द सिंह बचाये। विकास प्राधिकरण नरक प्राधि करण बन शोषण और अत्याचार का पर्याय बन गया हैं। अब हम इसके वेद-पुराण की गाथा भी बता दें । शहर में विकास कार्यों के नाम पर जीरो बांदा विकास प्राधिकरण द्वारा शहर के पुराने मकानों और दुकानदारों को चालान नोटिस जारी करने का व्यापक सिलसिला जारी हैं। अभी हाल में ही प्रमोशन पर तबादले पर गये सिटी मजिस्ट्रेट पर अत्याचार करनें के इतनें उदाहरण हैं की यह पुराना शहर और उसके निवासियों का जर्रा-जर्रा कांप उठा।
इसी सिलसिले में जिला उद्योग व्यापार मंडल ने प्राधिकरण उपाध्यक्षअपने शानदार और जानदार डीएम को अपनी व्यथा और कथाशंखनाद के बीच सुनाई डीएम को ज्ञापन देकर प्राधिकरण के कार्यों में सुधार की मांग की । सांसद और विधायक को भी ज्ञापन की प्रति भेजी।
ज्ञापन में व्यापार मंडल नेताओं ने कहा कि बांदा में विकास प्राधिकरण 1984 में गठित हुआ। शहर की ज्यादातर आबादी इससे पहले की है और मिश्रित है। सड़कें, गलियां भी तभी की हैं। ऐसे में इन इलाकों में प्राधिकरण द्वारा अपने नियमों का हवाला देकर नोटिस देना अव्यवहारिक है।
प्राधिकरण नक्शा पास कराते समय विकास शुल्क जमा कराता है, लेकिन आज तक इस पैसे से शहर में कहीं पार्क, नाली, सड़क का निर्माण नहीं हुआ। व्यापार मंडल ने पुरानी मिश्रित आबादी में जारी की गई नोटिसों और चालानों को कैंप लगाकर निस्तारित करने, वसूले गए विकास शुल्क से सुंदरीकरण, नए निर्मित क्षेत्रों में ही व्यावसायिक और आवासीय नियम लागू करने आदि की मांग की है।
ज्ञापन देने वालों में व्यापार मंडल के वरिष्ठ प्रदेश उपाध्यक्ष संतोष कुमार गुप्त, संयुक्त महामंत्री चारुचंद्र खरे, मंडल अध्यक्ष विष्णु कुमार गुप्त, जिलाध्यक्ष सत्यप्रकाश सराफ, उपाध्यक्षध्प्रभारी शिवपूजन गुप्त, महामंत्री कमलेश गुप्त, नगर अध्यक्ष संतोष अनशनकारी, ज्वाला प्रसाद गुप्त, प्रेम गुप्त, कृष्णप्रकाश, राजकुमार, राजेश कुमार साहू आदि ने इस अत्याचार को समाप्त कर सुझावों पर अमल करनें को शरणागत हुये। उम्मीद हैं की डीएम इस वास्तविक और आवय्वहारिक समस्या का यथा शीघ्र समाधान करेगें।
विनोद मिश्रा