
बांदा। कृषकों को खरीफ ऋतु में फसल से संबंधित तैयारियों के लिए स्थानीय कृषि विश्वविद्यालय के वैज्ञानिक जुट गए हैं। बुंदेलखंड के कृषक खरीफ बुआई से संबधित क्या-क्या तैयारियां कर सकते है इसके लिये बांदा कृषि एवं प्रौद्योगिक विश्वविद्यालय के वैज्ञानिकों ने बुंदेलखंड के कृषकों के लिये आवश्यक उपाय करने की सलाह दी है।
कृषि वैज्ञानिकों ने खरीफ फसलों के लिए बताया कि बुआई से पूर्व खेत की जुताई मिट्टी पलट हल (प्लाऊ) से अवश्य करें। इसके बाद खरीफ के चयनित फसल के बीज एवं उर्वरक व खाद की आवश्यकतानुसार व्यवस्था कर ली जाए। वर्तमान जलवायु एवं समय को ध्यान रखा जाए। उर्द, मूंग व अरहर की बुआई मेड़ों पर करना लाभकारी होगा। जलभराव की समस्या नहीं रहेगी व पौधों का विकास अच्छा होगा।
अगेती उपज प्राप्त करने के लिए खरीफ ऋतु की विभिन्न सब्जियों विशेषकर कद्दूवर्गीय सब्जियों के बीजों को जून के पहले सप्ताह में पॉलीबैग (पॉलीथिन) के थैलों में बीज की बुआई करनी चाहिए। मानसून की प्रथम वर्षा के पश्चात खेत को तैयार कर लें और पॉलीबैग में उगाए गए पौधों को मुख्य खेत में रोपित कर दें। इस प्रकार पहले से तैयार नर्सरी की रोपाई करने से हमें परंपरागत खेती की तुलना में 25-30 दिन पहले उपज मिलने लगती है।
वानिकी महत्व के विभिन्न फसलों जैसे- जामुन, नीम, कटहल, कचनार, चिरौजी, अमलतास, पलास, गुलमोहर, कैजोरिना लगाने हेतु बीज की बुआई पॉलीथीन थैली में करें। बीज बुआई हेतु पॉलीथीन थैली को मिट्टी, बालु एवं सड़ी गोबर की खाद मिलाकर तैयार कर छायादार जगह पर रखे।
संवाद विनोद मिश्रा