
बांदा-डीवीएनए। कोरोना काल में इलाज का भ्रम जाल चल रहा है। दूसरी ओर पंचायत चुनावों ने गांवों की खुली आबोहवा में भी कोरोना वायरस का जहर घोल दिया है। एक पखवारे से भी ज्यादा मुद्दत तक प्रत्याशी और प्रचारकों की धमाचैकड़ी से आबाद रहे गांव अब इसका खामियाजा भुगत रहे हैं।
चुनाव के बाद संक्रमण की रफ्तार शहर से कहीं ज्यादा गांवों में तेजी पकड़ रही है। बांदा जिले के ताजे आंकड़े इसके गवाह हैं। चुनाव के पूर्व पिछले माह तक जहां जनपद में संक्रमण की दर मात्र 35 फीसदी थी, वहीं अब यह बढ़कर 70 फीसदी तक पहुंच गई है।
गांवों में संक्रमण के बढ़ने के रुझान लगातार मिल रहे हैं। ग्रामीणों की मौतें भी हो रही हैं। स्वास्थ्य विभाग के आंकड़ों के मुताबिक पिछले माह अप्रैल के मध्य मे बांदा जनपद में कोरोना संक्रमण की ग्रामीण क्षेत्रों में दर 35 फीसदी तक सीमित थी।
इसी के बाद गांवों में चुनावी गतिविधियों ने तेजी पकड़ी और वायरस भी तेजी से बढ़ा। यहां मतदान 29 अप्रैल को था। पोलिंग स्टेशनों में भी मतदाता एक साथ इकट्ठा हुए। 2 मई को मतगणना में भी प्रत्याशियों सहित उनके समर्थकों ने कोविड गाइड लाइन की जमकर अनदेखी की। इन्हीं सब लापरवाहियों के चलते जनपद के गांवों में संक्रमण की दर तेजी से बढ़ी है। 3 मई को यहां 154 संक्रमित पाए गए। इनमें 119 ग्रामीण क्षेत्रों के थे। यह 77 फीसदी है। रोजाना संक्रमितों की सूची में अब ग्रामीण इलाके आगे चल रहे हैं।
संवाद विनोद मिश्रा