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भोजन में वरदान: बेमौसमी सलाद का भी आनन्द

बांदा डीवीएनए। अब हर मौसम में बेमौसमी सलाद का स्वाद आपके भोजन का जायका लाजवाब कर देगा।सलाद में जिस भी मौसम में खीरा, टमाटर चाहिए, तो चिता करनें की जरूरत नहीं। बेमौसम बैंगन खाना हो या फिर ब्रोकली, शिमला मिर्च की चाहत, सब आपको उपलब्ध होगा। भोजन में मनचाहा सलाद का यह वरदान बांदा कृषि विश्वविद्यालय का पाली हाउस दे रहा है। बुंदेलखंड में किसानी की तस्वीर व तकदीर बदलने के कई स्तर पर चल रहे प्रयासों के बीच कृषि विश्वविद्यालय ने संरक्षित खेती का एक बेहतर माडल तैयार किया है। पॉली हाउस के जरिए इस माडल को धरातल पर अमलीजामा पहनाया जा रहा है। उद्देश्य यहां के किसान अब एक या दो फसल पर ही निर्भर न रहें, बल्कि पूरे साल टमाटर, खीरा, शिमला मिर्च, ब्रोकली, बैगन जैसी फसलों की पैदावार कर मुनाफा कमा सकें।
करीब दो साल पहले कृषि विश्वविद्यालय में नौ पाली हाउस बनाए गए थे। इनमें संरक्षित खेती की जा रही है। यहां अलग-अलग पॉली हाउस में विभिन्न प्रकार की बेमौसमी सब्जियां लहलहा रही हैं। इनमें खीरा, टमाटर, शिमला मिर्च (लाल, हरा पीला), चेरी टमाटर, ब्रोकली (हरी गोभी), स्पाइनेच जैसी फसलें पूरे साल पैदा की जाती हैं। खीरा की तीन फसलें हो चुकी। अगस्त से नवंबर तक पहली फिर जनवरी तक दूसरी व फरवरी से अप्रैल तक तीसरी फसल चलेगी। इस समय फरवरी में बोया गया खीरा तैयार है जो अच्छे दामों में बाजार में बिक रहा है। टमाटर और शिमला मिर्च को भी अगस्त में तैयार किया गया था। इन्हें एक बार लगाने के बाद अप्रैल तक फल लिए जाते हैं। इन सब्जियों की पूरे साल उपज लेने के लिए पाली हाउस बेहतर साधन है। क्योंकि खुले में हर समय पैदावार होना संभव नहीं हो पाता। विश्वविद्यालय संरक्षित खेती की इसी तकनीकि को किसानों तक पहुंचाने का काम कर रहा है। साथ ही इनकी बिक्री से मुनाफा भी मिलता है।
वनस्पति विज्ञान के सह प्राध्यापक आर के सिंह बताते है कि संरक्षित खेती के जरिए बेमौसमी सब्जियां पैदा करके किसान अपनी आय बढ़ा सकते हैं। कृषि विश्वविद्यालय में मॉडल के तौर पर पाली हाउस में बेमौसमी सब्जियों की पैदावार पिछले सालों से की जा रही है। बुंदेलखंड के लिए यह बहुत ही लाभकारी है।
संरक्षित खेती का माडल बुंदेलखंड के गांवों में पहुंचाने के लिए कृषि विश्वविद्यालय ने किसानों को जोड़ने का काम शुरू किया है। करीब एक सैकड़ा विभिन्न गांव के किसानों को बैगन, टमाटर, भिडी के बीज व पौध वितरित किए हैं ताकि संरक्षित खेती का माडल अपनाकर बेमौसमी सब्जियों का उत्पादन ले सकें।

विश्वविद्यालय के नौ पॉली हाउस
विश्वविद्यालय में एक नेचुरल वेटीलेटेड, एक मिस्ट व हार्बेनिक चेंबर पाली हाउस के अलावा तीन कीट अवरोधी व चार ग्रीन शेडनेड (हरा छायादार घर) पाली हाउस बने हैं। इनमें बेमौसमी उच्च गुणवत्तावाली सब्जियां पैदा की जा रही हैं। नेचुरल वेटीलेटेड पॉलीहाउस में पूरे साल टमाटर, खीरा, शिमला मिर्च, चेरी टमाटर पैदा किए जा सकते हैं। कीट अवरोधी में तैयार सब्जियों में किसी भी प्रकार के कीट व रोग प्रभावित नहीं कर पाते। ग्रीन शेडनेड के अंदर भी उच्च गुणवत्तावाली सब्जियां पैदा होती हैं। वहीं मिस्ट व हार्बेनिक चेंबर पौधों की कटिग तैयार की जाती है। उनका पौधरोपण करने के साथ ही किसानों को देने का काम होता है। इसमें भी उच्च गुणवत्ता वाली सब्जियां उगाई जा सकती है। इसके अंदर स्वचालित रूप से तापमान को नियंत्रित किया जाता है।
संवाद विनोद मिश्रा

Digital Varta News Agency

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