
बांदा डीवीएनए। मौसम का मिजाज किसानों के लिये मुफीद साबित नहीं हो रहा। अभी से सूर्य कि प्रखर किरणें किसानों की खेती पर नजरें टेढ़ी किये है। परंतु दिनोदिन तेज हो रही धूप से तापमान सामान्य से अधिक चल रहा है। बसंती मौसम में लोग बैशाख जैसी गर्मी का अहसास कर रहे हैं। वैज्ञानिक इसे फसलों के लिहाज से अच्छा नहीं मानते अधिक तापमान से गेहूं में रतुआ रोग लगने की संभावना बढ़ जाती है।
फरवरी माह बीत गया लेकिन पिछले कई दिनों से तापमान अधिक चल रहा है। फरवरी के अंतिम दो दिन अधिकतम तापमान 36 व न्यूनतम 19 डिग्री सेल्सियस रिकार्ड किया गया था। तेज धूप के कारण बसंती मौसम में ही गर्मी का अहसास होने लगा है। बांदा कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय के मौसम विज्ञानी डॉ.दिनेश साहा ने बताया कि फरवरी के अंतिम दिन अधिकतम तापमान सामान्य से चार डिग्री सेल्सियस अधिक रहा। तापमान बढ़ने से गेहूं में रतुआ रोग की संभावना बढ़ जाती है। गनीमत है कि अभी न्यूनतम तापमान 20 डिग्री सेल्सियस चल रहा है। रात में ठंड रहती है। किसानों से कहा कि कहीं भी गेहूं में रतुआ रोग की शिकायत मिले तो मेनकोजेब नामक दवा का छिड़काव कर दें। इससे पहले 2018 में अधिकतम 34 न्यूनतम 17, 2017 में अधिकतम 33, न्यूनतम 18 डिग्री सेल्सियस तक तापमान पहुंच चुका है।
तापमान बढ़ने का एक प्रमुख कारण वातावरण में नमी की कमी को भी बताया गया है। कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय के मौसम विज्ञान विभाग के प्रभारी बताते हैं कि तापमान में वृद्धि सौर विकिरण, उसकी तीव्रता तथा पृथ्वी पर आने की अवधि के साथ-साथ स्थानीय कारणों पर निर्भर करता है। हवा एवं हवा की दिशा भी इसमें सहयोग करती है। इनके साथ ही वातावरण में कम नमी का होना भी तापमान बढ़ने का कारण है।
इधर क्षेत्र में ज्यादातर दलहन-तिलहन वाली फसलें पककर तैयार हो गई हैं। जिनमें किसानों ने कटाई का काम भी शुरू कर दिया है। इस समय तापमान में आयी बढ़ोत्तरी से चना, मटर, मसूर, सरसों जैसी फसलों को नुकसान कम बताया जा रहा है। लेकिन गेहूं अभी तैयार हो रहा है। देर से बोयी गई गेहूं की फसल को इस समय जो गर्मी पड़ रही है वह प्रभावित कर सकती है।
संवाद विनोद मिश्रा