
बांदा डीवीएनए। महाशिवरात्रि पर्व पर बामदेवेश्वर मंदिर समेत अन्य शिव मंदिरों में श्रद्धालुओं ने जलाभिषेक कर पूजन किया। बामदेवेश्वर मंदिर में श्रद्धालुओं की भारी भीड़ रही। कमोवेश यही हाल अन्य शिव मंदिरों में भी रहा। भोर से देर रात तक मंदिर हर-हर महादेव के जयकारों से गूंजते रहे।
गुरुवार को महाशिवरात्रि का पर्व हर्षोल्लाष मनाया गया। प्राचीन मंदिर बामदेवेश्वर में श्रद्धालुओं की भारी भीड़ जलाभिषेक को पहुंची। करीब पचास फिट ऊपर शिखर में गुफा में विराजमान शिवलिंग का जलाभिषेक करने के लिए लोगो में खासी होड़ लगी रही। आलम यह रहा कि बामदेवेश्वर मंदिर से लेकर नीचे तक भक्तों की लम्बी कतार लगी रही। घंटो लोगो को अपनी बारी का इंतजार करना पड़ा। जलाभिषेक व पूजन अर्चन का सिलसिला देर रात तक चलता रहा। मंदिर में भक्तों के आने जाने का अलग मार्ग निर्धारित किया गया था। मंदिर कमेटी के कार्यकर्ता जगह-जगह पर मुस्तैद थे। ताकि भक्तो को किसी भी प्रकार की दिक्कत न हो। इसके साथ शहर के अन्य शिवमंदिरों में भी यही हाल रहा। पूजन-अर्चन करने वाले भक्तों की भारी भीड़ रही। भोर से रात तक मंदिर हर-हर महादेव के जयकारें से गूंजतें रहें। सुरक्षा की दृष्टि से बामदेवेश्वर मंदिर समेत प्राचीन मंदिरों में पुलिस के साथ-साथ पीएसी लगाई गई थी। भीड़ को रोकने के लिए पुलिस ने जगह-जगह पर बैरीकेटिंग की थी।
बाम्बेशवर शिवलिंग की स्थापना का रहस्य भी अँनोखा है
संस्कृत विद्यालय के प्राचार्य पं. अशोक अवस्थी का कहना है कि यूतो बांबेश्वर में स्थित शिव¨लग की स्थापना का कही भी स्पष्ट उल्लेख नही है। बतातें है कि त्रेता युग में महर्षि बामदेव ने बांबेश्वर शिखर पर स्थित गुफा में तप व साधना की थी। यहां पर इन्हे सत्यम शिवम सुंदरम का बोध हुआ था। यही पर उन्हे भगवान शिव से साक्षात्कार हुआ। उसी समय शिव¨लग प्रगट हुए। जो बामदेवेश्वर के नाम से प्रसिद्ध हुए।
संवाद विनोद मिश्रा