
बांदा(डीवीएनए )। डीएम आनन्द सिंह धनजरें इनायत करें, क्योकिं मंडियों के काम काज की नई व्यवस्था पटरी सें उतर गई है। हालत धत्ततेरे की सी हो गई है। यह भी कोई बात हुई बिना तकनीकी ट्रेनिंग दिये काम की जिम्मेदारी दे दी जाय। इसके चलते कार्यालीय संचालन ठप हो गया।
यह कारनामा हो गया है जिले की तीनों मुख्य मंडी समितियों में। यहां कारोबार ऑनलाइन शुरू हो गया है। कार्यालय से जारी होने वाले सभी प्रपत्र/अभिलेख ऑनलाइन ही मिलेंगे। यह व्यवस्था लागू हो गई है, लेकिन मंडी कर्मियों के अप्रशिक्षित होने से दिक्कतें भी आ रही हैं। बताते हैं कि कंप्यूटर ऑपरेटर रखकर काम चलाया जा रहा है। दूसरी ओर उप मंडियों में अभी मौजूदा व्यवस्था ही लागू रहेगी।
जनपद में बांदा, अतर्रा और बबेरू में मुख्य मंडी समितियां हैं। प्रदेश की अन्य मंडियों की तर्ज पर यहां भी अब तक सारे कामकाज मैन्युअल निपटाए जा रहे थे। अब शासन ने प्रदेश की मंडियों को हाईटेक करते हुए इन्हें कंप्यूटराइज्ड कर दिया है। किसानों को दिए जाने वाले गेट पास, एसआर प्रपत्र सहित सभी तरह के फार्म व भुगतान डिजिटल किए गए हैं।
इसके अलावा ई-मंडी के साथ ही गवर्नेंस के तहत पत्रावलियों के डिजिटाइजेशन के लिए ई-आफिस, मंडियों के इंफ्रास्ट्रक्चर को बेहतर बनाया जा रहा है। मंडी इंफ्रास्ट्रक्चर कोडिंग सिस्टम, मुख्यमंत्री कृषक दुर्घटना सहायता योजना, मुख्यमंत्री खेत-खलिहान योजना, अग्निकांड दुर्घटना सहायता योजना को भी ऑनलाइन किए जाने के लिए भी कार्य किए जा रहे हैं। इन मंडियों में एक अरब से अधिक का सालाना व्यापार होता है। उप मंडियों व ग्रामीण स्थापना केंद्रों को भी ऑनलाइन व्यवस्था के प्रयास किए जा रहे हैं। जनपद में पांच उप मंडियां और 13 ग्रामीण स्थापना केंद्र हैं।
हालाकिं ऑनलाइन व्यवस्था पारदर्शी तो है लेकिन डिजिटल व्यापार केंद्र में स्टाफ व सर्वर की कमी आड़े आ रही है। साइट में त्रुटि सुधार की भी कोई व्यवस्था नहीं है। गेट पास, एसआर, भुगतान आदि प्रक्रिया में दो दिन का समय लग जाता है। सरकार ने मंडी के बाहर व्यापार को मंडी शुल्क से बाहर रखा है। टैक्स न लगने से व्यापारी किसान के माल को ऊंचे दामों में खरीद रहे हैं। इससे मंडी का व्यापार चौपट हो रहा है। मंडी के डिजिटल होने से व्यवस्था पारदर्शी हुई है। दलाली पर अंकुश लगा है।
उधर, प्रभारी सचिव, गल्ला मंडी रवींद्र कुमार तिवारी ने बताया कि जनपद की तीनों मुख्य मंडियों को ऑनलाइन किया जा चुका है। दूसरे चरण में उप मंडियों व ग्रामीण स्थापना केंद्रों को डिजिटल किया जाएगा। इससे व्यापारियों और किसानों को सहूलियतें होगी।
संवाद , विनोद मिश्रा