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बांदा (डीवीएनए)। मंडल मुख्यालय का जिला सूचना विभाग नकारा बन कर रह गया है। अपने कर्तव्यों एवं दायित्वों का पालन करनें के पैमाने में बिल्कुल शून्य है। इसके कारण सरकार की योजनाओं एवं जिला प्रशासन द्वारा योजनाओं का सफल क्रियाँनव्यन एवं उनका मीडिया के माध्यम से समुचित प्रचार और प्रसार नहीं हो पा रहा! वेतन के नाम पर हर माह लाखों रुपयों की बर्बादी हो रही है सो अलग।
दरअसल जब इंजन ही धक्का मार होगा तो गाड़ी कैसे चलेगी। यही हाल यहां के डिप्टी निदेशक भूपेंद्र यादव का है! मीडिया के बीच इस अधिकारी की छवि नकारा की सी बन गई है। जिला धिकारी आनन्द सिंह जिस प्रकार मुख्य मंत्री योगी आदित्य नाथ की प्रमुख योजनाओ को जमीन तक पहुचाने के लिये कड़ी प्रशासनिक मेहनत करतें हैं उस पर जिले का सूचना विभाग के कथित नकारा अधिकारी और कर्मचारी पानी फेर देते हैं।
उप निदेशक सूचना भूपेंद्र यादव की निष्क्रियता यह है कि डीएम, कमिश्नर सहित अन्य सरकारी कार्यक्रमों का कवरेज सभी मीडिया बालों के इमेल नंबर पर नहीं भेजते। आखिर क्यों? इनका दायित्व है कि सरकार की नीतियों का जिले में जिस सफलता से चार-चाँद डीएम आनन्द सिंह लगा रहें हैं उसकी शीतल रोशनी का आभास जन-जन तक हो, लेकिन यह विभाग श् चाँद में दाग श् को फोकस सा कर रहा है।
वर्तमान संचार क्रांति का युग है। निचले पायदान से लेकर ऊंचे पायदान तक हर हाथ में मोबाइल फोन है। सोशल मीडिया का दायरा प्रिंट मीडिया को काफी पीछे छोड़ चुका है। बड़े समाचारों के संस्करण तीन-चार जिलों तक सिमट कर रह गये है! ऐसे में सोशल मीडिया पीडीएफ फाइलों, वेब पोर्टलों, वाट्सअप,फेस बुक ट्यूटर आदि के जरिये हर क्षेत्र में कामयाबी कि ओर है। पर बांदा में सूचना विभाग का आला अफसर और उसके आधीनस्थ अधिकारी, कर्मचारी निठल्ला है! सूचना विभाग पत्रकारों को अपना कर्मचारी समझने की भूल कर बैठा है! क्योकि पत्रकारों से अच्छा-ताल मेल रखने के दायित्व से इतर सिर्फ रौब गांठना इनका फितूर सा बन गया है।
जिलाधिकारी आनन्द सिंह को सूचना विभाग की भी समीक्षा करनी चाहिये ताकि यह अपने उत्तर दायित्वों का सही निर्वहन करें। सभी मीडिया कर्मियों को प्रेस रिलीज के साथ फोटो, वीडियो और संबंधित प्रशासनिक अधिकारी की बाइट भी इमेल पर भेजे। यदि इतना सब कर पाने में यहां का सूचना विभाग अक्षम है तो इन्हे कारण बताओ नोटिस जारी कर दंडनात्मक कार्यवाही की जानी चाहिये!क्योकि यहां का सूचना विभाग रामचरित मानस की यह चैपाई चरितार्थ सा कर रहा है, सठ सुधरहि सत संगत पाई, मूरख हृदय न चेत, चाहे गुरू मिलहीं विरंच सम।
संवाद विनोद मिश्रा