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जिला पंचायत कृषि महाविद्यालय, अपनों की ही लगी बुरी नजर

बांदा डीवीएनए। जिला पंचायत कृषि महाविद्यालय को अपनों की ही नजर लग गई है। कृषि शिक्षा के क्षेत्र में एक अच्छा मुकाम हासिल कर चुके इस महाविद्यालय को बदनाम करनें का चक्रव्यूह रच दिया गया।
इसी क्रम में कांग्रेस छात्र संगठन के नेतृत्व में महाविद्यालय के दो चार छात्र शामिल हो प्रशासन को ज्ञापन दिया। प्रबंध तंत्र पर मिथ्या आरोप लगाया की प्रवेश पत्र के नाम पर अवैध धन उगाही की जा रही है!न देनें पर फेल कराने की धमकी भी! जिसकी जांच कराई जाय।
दरअसल जिला पंचायत द्वारा संचालित यह महाविद्यालय बुन्देलखंड विश्वविधालय से सम्बध्द है। यह स्थापना काल से ही अपनों की राजनीति का शिकार हो उतार-चढ़ाव के संघर्ष से जूझता , तपते सोने की तरह निखरता रहा। दुर्भाग्य यह की फिर भी इसकी चमक में बट्टा लगाने के कुत्सित प्रयास हो रहें हैं। समय-समय पर महाविद्यालय की संचालन व्यवस्था पर उंगली उठती रही, सवाल दगते-उछलते रहे, पर प्राचार्य राजेंद्र गुफ्ता का कठोर अनुशासन डिगा नहीं!
इधर निवृतमान जिलापंचायतअध्यक्ष सरिता दिवेदी के कार्यकाल में यह महाविद्यालय प्रगति के सोपान चढ़ता रहा। उनका कार्यकाल समाप्त होते ही ष्आस्तीन के सांपष् बाहर आ गये और व्यवस्था को डसने की साजिशें शुरू कर दी गई।
एक बात और बता दूं की आरोप लगाने वाले शायद यह भूल गये की जिलापंचायत का कार्यकाल समाप्त होने के बाद अपनी प्रशासनिक कुशलता के लिये
चर्चित जिलाधिकारी आनन्द सिंह शासन के निर्देश पर स्वयं जिला पंचायत के प्रशासक हैं और इस नाते वह कृषि महाविद्यालय के प्रबंधक भी हैं। फिर भला कौन दुस्साहस धन उगाही की कर सकता है!
जिला पंचायत का यह कृषि महाविद्यालय शासन से गैर वित्त पोषित है। इसके उज्जवल भविष्य के लिये राजनीतिक एवं प्रशासनिक स्तर पर उच्च प्रयास की महती आवश्यकता है ताकि राज्य सरकार कैबिनेट से प्रस्ताव पास कर इसे वित्त पोषित करे।
संवाद विनोद मिश्रा

Digital Varta News Agency

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