
बांदा (डीवीएनए)। सावधान, होशियार यदि आप रोडवेज बसों में सफर कर रहे है, इसका मतलब आपकी जान जोखिम में है। और ष्कर चले हम फिदा जान तन साथियोष् की स्थिति आ सकती है।
आप तो जानते ही हैं कि जाड़े के मौसम में कोहरे के कारण सड़क हादसों की शंका सबसे अधिक होती है। कोहरे से बचाव के लिए बसों में फाग लाइट का प्रयोग किया जाता है। लेकिन आश्चर्य की बात है कि बांदा रोडवेज बस अड्डे से सवारी को लेकर चलने वाली बसों में फाग लाइटों का अभाव है। ऐसे में वाहन चलाने में दिक्कत होती है। जरा सी असावधानी के कारण दुर्घटना हो जाती है। लंबी दूरी की बस हो या नजदीक रूट की, इनमें बिना फाग लाइट के ही दौड़ाया जा रहा हैं। सर्दी के मौसम में कोहरा से बचने के लिए वाहनों में फाग लाइट का प्रयोग करना जरूरी है। इसके लिए परिवहन विभाग के सख्त निर्देश है। रोडवेज की बसों में बिना फाग लाइट के ही चालक बस लेकर चल रहे हैं। विभाग की दर्जनों बसें बिना फाग लाइट के (पीली बत्ती) सड़कों पर राम भरोसे दौड़ रही हैं।वर्तमान में जनपद एक दर्जन से अधिक बसों का आवागमन अन्य जनपदों के लिए हो रहा है। इनमें प्रयागराज, लखनऊ, कानपुर, झांसी, महोबा, हमीरपुर के लिए संचालित हो रही है। इसके साथ ही जिले के कस्बा व ग्रामीण क्षेत्रों में भी आवागमन हो रहा है। इनमें अधिकतर बसें रात्रिकालीन सेवाएं भी दे रही है। जिले में निजी बसें तो दूर परिवहन विभाग रोडवेज की बसों में फाग लाइट नहीं लगी है। कुछ बसों के वाइपरों की रबर घिस गईं है। इससे शीशे ठीक तरह से साफ नहीं हो पाते हैं।
लंबे रूटों की बसों के चालकों को कोहरे में काफी मुश्किल है।बांदा डिपो से 120 बसों का संचालन किया जाता है। जिसमे से लंबी रूट की बसों में दिल्ली, मथुरा, आगरा तक के लिए बसों का संचालन बिना फाग लाइटों के ही सड़कों पर है। सर्दी का सितम है,जिसमे कोहरा सबसे अधिक पड़ता है । इसके चलते बस के चालक जान की बाजी लगाकर लोगों को यात्रा करवा रहे है।
सहायक क्षेत्रीय पबंधक परमानंद का इस संदर्भ में कहना है किबसों में वॉटरफाग लाइटों का प्रयोग किया जा रहा जो हर मौसम में कार्य करती है। फाग लाइटों का चलन लगभग न के बराबर किया जाता है। बसों के संचालन में कोहरे के वक्त सबसे अधिक चालकों को कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है।
संवाद विनोद मिश्रा