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यूपी की राजधानी में लोगो ने देखा और बदमाशों ने बनाया गोलियां बरसाने का रिकॉर्ड

लखनऊ डीवीएनए। राजधानी लखनऊ की विगड़ती कानून व्यवस्था को सुचारू रुप देने के लिए प्रदेश के मुखिया योगी आदित्यनाथ ने राजधानी में कमिश्नरेट सिस्टम लागू किया. सरकार बनने के बाद राजधानी मे 106 से अधिक हत्या की घटनाएं हुई है. 200 से अधिक लूट व चोरी के साथ दवंगई के मामले तो पुलिस रिकार्ड मे दर्ज हो चुके है.

लगा अब सब कुछ ठीक ठाक हो जाएगा.जादू की छड़ी पकड़ाई गई तेज तर्रार आईपीएस सुजीत पाण्डेय को.जो जम्बू के एल जी मनोज सिन्हा के भी करीबी है लेकिन अफसोस कि ये हो न सका. सुजीत पाण्डेय ने सर से पांव तक पसीना जाने कहां कहां बहाया लेकिन राजधानी की गलियां हर रोज गोलियों की गर्जना से गूंजती रही.

डीके ठाकुर भी नही बढा पाये बेखौफ़ो पर दबाव

सीएम योगी आदित्यनाथ को लगा कि राजधानी की कमान और सख्त हाथों में देनी चाहिए.फिर कमान आई कममिश्नर डीके ठाकुर के हाथों में लेकिन कुछ नहीं बदला.दो दिन पूर्व ही शाम को जब राजधानी में गोलियों की बौछार हो रही थी तो शहर के बीचों बीच लखनऊ की सख्त कानून व्यवस्था दम तोड़ रही थी.

बिभूतिखण्ड की वारदात से सहमे है लखनऊ के आम शहरी

गोमती नगर के विभूतीखंड इलाके में 6 जनवरी को दिन तो ठीक ठाक बीत गया लेकिन शाम होते ही राजधानी गोलियों की तड़तड़ाहट से गूंज उठी.एक नहीं दो नहीं तीन नहीं चार भी नहीं एक साथ 25 से तीस राउंड गोलियां चलीं वो उस इलाके में जो लखनऊ के पॉस इलाकों में गिना जाता है.

गोलियो की अनवरत बौछार से कानून को दी गयी चुनौती

विभूतीखंड थाना क्षेत्र के कठौता इलाके में जब बेखौफ बदमाश गोलियों की बौछार कर हे थे तो ये दिखाने की कोशिश कर रहे थे कि लखनऊ के कमिश्नरेट सिस्टम से उनकों कितना खौफ है. असलहों से लैस बदमाश ललगातार फायरिंग करते रहे. इस दौरान कई लोगों को गोलियां लगी.

डिलेवरी ब्याय समेत दोनो घायल खतरे से बाहर

एक ने तो मौके पर ही दम तोड़ दिया. दो घायल हुए. जिनमें से एक घायल ऐसा था जिसकी किसी के साथ दुश्मनी नहीं थी. उस घायल का अपराध सिर्फ इतना थी कि उसी इलाके में खाने की डिलिवरी देने गया था.गोली डिलिवरी बॉय के पैर में लगीं और वहीं घायल होकर गिर गया।

वारदातो से सूबे की राजधानी मे दहशत अशुभ संकेत

कुछ नहीं बदला सिर्फ एसएसपी कमिश्नर बदलते रहे लेकिन कानून व्यस्था के दुश्मन जरा भी नहीं बदले लोगों को सुरक्षा की गारंटी देने का वादा करने वाली योगी सरकार लगातार नए नए प्रयोग करती रही, लेकिन राजधानी के अंदर शाम होते ही गोलियों की गूंज नहीं थमी. अब सवाल ये है कि जब प्रदेश की राजधानी के बीचों बीच लोग सुरक्षित नहीं है तो फिर दूर दराज के लोगों की क्या गारंटी। ज्योतिष के जानकर यह भी मान रहे है कि लगातार हो रही दुस्साहसिक वारदात आने वाले दिनो के लिए शुभ संकेत नही है.
संवाद राकेश पांडेय

Digital Varta News Agency

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