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अफसोसनाक: नहीं मिला सरकारी मकान, गरीब की चली गई जान!

बांदा डीवीएनए। बहुत ही अफसोसनाक खबर ” जान चली गई लेकिन मकान नहीं मिला ” भ्रष्टचार के दंश से परिवार दहल गया! डीएम आनन्द कुमार की इस भ्रष्टाचार की कहानी पर उनकी भौंहे तन गई है। जांच में दोषी पर जिलाधिकारी की गाज गिरना तय सा माना जा रहा है।
चौंकाने वाले हालात हैं की सरकार की कल्याणकारी योजनाएं किस तरह विभागीय कर्मचारियों ऩे कमाई का जरिया बना लिया है। दुखदाई उदाहरण की बात यह है की बीस हजार रुपये की मांग पूरी नहीं होने पर कच्चे घर में रहने वाले गरीब का पीएम आवास योजना से नाम काट दिया गया। बताया जा रहा है की पक्की छत का सपना चूर होने पर ऐसा सदमा लगा कि गरीब की जान चली गई। पिता की मौत की सूचना पर दिल्ली से आए बेटे ने डीएम से पंचायत सचिव पर गंभीर आरोप लगाते हुए शिकायती पत्र सौंपा। साथ में विधायक और भाजपा मंडल अध्यक्ष का सिफारिशी पत्र भी उसमे संलग्न था।
मामला नरैनी तहसील के पियारगांव का है, जहां अप्रिय हादसा हो गया। यहां का निवासी अनूप कुमार दिल्ली में अपने बड़े भाई अनुज के साथ मजदूरी करता है। अनूप ने जिलाधिकारी को दिए शिकायती पत्र में आरोप लगाया कि उसके पिता सत्य नारायण द्विवेदी का नाम पीएम आवास योजना में था। कॉलोनी के लिए ग्राम पंचायत सचिव अनुज कुमार पटेल ने बीस हजार रुपये सुविधा शुल्क मांगें। जिसे उसके पिता नहीं दे सके। इसका ऐसा सदमा लगा कि उनकी मौत हो गई। विधायक राजकरण कबीर व भाजपा मंडल अध्यक्ष अशोक राजपूत के सिफारिशी पत्र के साथ उसने शिकायत दर्ज कराई।
अनूप ने बताया कि पिता ने फोन कर बताया था कि बीस हजार रुपये सचिव मांग रहे हैं, जिसको देने पर उनके पास पक्की कॉलोनी हो जाएगी। पैसे की मांग पर उसने कहा था कि अभी बहन की शादी की है, हाथ खाली हैं। जल्द पैसे की व्यवस्था की जाएगी। इसके बाद से वह चितित रहने लगे थे। जैसे ही पात्रता सूची से नाम कटा तो उनको सदमा लग गया और उनकी मौत हो गई।
संवाद विनोद मिश्रा

Digital Varta News Agency

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