
बांदा-डीवीएनए।कोरोना की सुनामी अपने कहर पर आमादा हैं। इस संक्रमण काल में लुटेरे सक्रिय हो गये हैं। आयुक्त दिनेश सिंह और बांदा डीएम आनंद सिंह कोरोना से बचाव के लिए संसाधन की उपलब्धिता पर पूरी तत्परता बरत रहें हैं फिर भी मरीज लुट ही जाता हैं। दवाओ की कालाबाजारी तो हो ही रहीं हैं। प्राइवेट एंबुलेंस वाले भी लुट की बहती गंगा में जमकर गोते लगा रहें हैं।
जनपद में ऐसा नहीं है कि सरकारी एंबुलेंस नहीं हैं। 108 की करीब 23 एंबुलेंस संचालित हो रही हैं। इसके अलावा तीन एलएस एंबुलेंस हैं। जो मरीजों को रेफर होने पर लंबी दूरी कानपुर व अन्य जगह लेकर जाती हैं। लेकिन इस समय कोरोना संक्रमण का दौर चल रहा है। इससे कोरोना संक्रमित मरीजों के लिए 12 एंबुलेंस लगाई गई हैं। करीब 11 एंबुलेंस सामान्य मरीजों को लाने ले जाने में लगी हैं। मरीजों की संख्या भी इस समय अस्पतालों में ज्यादा देखने को मिल रही हैं। किसी को सांस लेने में दिक्कत है। तो किसी मरीज को बुखार व ऑक्सीजन की कमी है। ऐसी स्थिति में मरीज रोजाना रेफर भी ज्यादा हो रहे हैं। इससे सरकारी एंबुलेंस खाली नहीं मिलती हैं। इसका फायदा प्राइवेट एंबुलेंस वाले उठा रहे हैं। करीब 30 निजी एंबुलेंसों का संचालन हो रहा है। बिना पॉजिटिव वाले मरीजों को भी बांदा से चित्रकूट ले जाने में 10 से 11 हजार रुपये तक ऐंठे जा रहे हैं। जबकि वहां की दूरी महज 100 किलोमीटर के भी अंदर है। इतना ही नहीं संभावित संक्रमितों के दम तोड़ने पर शव को स्थानीय स्तर पर छोड़ने जाने में तीन से चार हजार रुपये ले रहे हैं। पीड़ित स्वजन का दर्द किसी को दिखाई नहीं पड़ रहा है। जिम्मेदार अधिकारी यदि इस मनमानी पर अंकुश लगाएं तो पीड़ितों को राहत मिल सकती
सीएएमओ एनडीशर्मा दावा करते हैं कि सरकारी एंबुलेंस जिले में पर्याप्त संख्या में हैं। अभी तक ऐसी कोई शिकायत उनके पास नहीं आई है। इसके बाद भी संबंधित लोगों को इसको पता कराकर कार्रवाई कराने के लिए कहा जाएगा।
संवाद विनोद मिश्रा