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महामारी के समय इस्लामी निर्देश, डरें नहीं सावधानी बरतें: मौलाना याक़ूबी

फ़िरोज़ाबाद। कोविड की महामारी के प्रकोप से पूरा देश संक्रमित हो रहा है। रमज़ान का पावित्र माह चल रहा है और पूरा देश करोना महामारी से जूझ रहा है। ऐसे में महामारी के समय इस्लाम धर्म क्या निर्देश देता है। उसकी विशेष जानकारी इस्लामिक सेंटर के सचिव और धर्म गुरु मौलाना आलम मुस्तफा याकूबी ने दी, उन्होंने कहा कि  मोहम्मद साहब ने फरमाया के जिस किसी को भी संक्रामक रोग है उसे सेहतमंद लोगों से दूर रखने की हिदायत दी गई है इसी को फिजिकल डिस्टेंसिंग कहते हैं उन जगहों पर जाने से परहेज करें जहां पर यह महामारी हो और अगर आप  उसी शहर में या उसी जगह पर हों तो उस जगह को छोड़कर बाहर ना जाएं।

मोहम्मद साहब ने फरमाया यदि आप संक्रामक रोग से पीड़ित हैं तो आप का फर्ज है कि दूसरों तक इसे ना पहुंचने दें दूसरों को मुसीबत में ना डालें।  मोहम्मद साहब ने फरमाया है कि जो स्वयं अपनी हिफाज़त के लिए घर पर रहते हैं उनकी हिफाजत अल्लाह ताला करता है।

मोहम्मद साहब ने फरमाया जब अल्लाह इस किस्म की बीमारी भेजता है तो उसका इलाज भी भेजता है यानी वह आपके सब्र का इम्तिहान ले रहा है।

मोहम्मद साहब को जब छींक या खांसी आती थी तो वह खुद कपड़े से अपने मुंह को ढांक लिया करते थे यही है मास्क पहनना।

मोहम्मद साहब ने फरमाया के अपने घर आते ही अपने हाथ धो लें साफ-सफाई ही आधा ईमान है वेसे भी इस्लाम में पांच वक्त की नमाज फर्ज है और नमाज से पहले वजू फर्ज है।

मोहम्मद साहब की सलाह है कि जिस शख्स को संक्रामक रोग है और अगर वह घर रह कर ही सब्र के साथ इबादत करें तो वह अल्लाह की रहमत से महरूम नहीं होगा क्योंकि जिंदगी और मौत अल्लाह के हाथ में है।

इसलिए इहतियात करें, क्यों की इहतियात इलाज से बेहतर है।

Digital Varta News Agency

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