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पटना डीवीएनए। हर उस गुरू को खुशी मिलती है, जब उसका पढ़ाया बच्चा कामयाब होता है। लेकिन ये ख़ुशी उस वक़्त कई गुना होती है, जब ग्रामीण परिवेश में पले बढ़े छात्र एनआईटी अगरतला में दाखिला लेते हैं।
सरकारी कॉलेजों में दाखिला लेकर इंजीनियर बनने का सपना तो हर छात्र देखता है। लेकिन ग्रामीण परिवेश से पले बढ़े स्टूडेंट्स का ये सपना जब पूरा होता है तो ख़ुशी का अंदाजा लगाना भी बेमाना है।
आज हम आपको ऐसे ही एक छात्र की कहानी बता रहे हैं। बिहार राज्य के रोहतास जिले के बिक्रमगंज के अक्षत राज की कहानी काफी प्रेरणादायक है। अक्षत का गाँव बिक्रमगंज के पास शिवपुर है। पिता का नाम राजकिशोर ठाकुर है, जो बिहार सरकार के सरकारी विद्यालय सूर्यपुरा में शिक्षक है।
वर्ल्ड बुक ऑफ रिकॉर्ड होल्डर आरके श्रीवास्तव बताते हैं कि अक्षत पढ़ने में बचपन से ही काफी इंटेलीजेंट था। अक्षत के सफलता में उसके मेहनत के साथ उसके माता- पिता का बहुत बड़ा योगदान है। आरके श्रीवास्तव बताते हैं कि जब अक्षत मेरे पास पढ़ता था तो वर्ग 10 में ही 11th, 12th के कैलकुलस को सॉल्व करता था। अपने वर्ग से हमेशा आगे रह्ता था।
आज अक्षत के पिताजी से उसके गुरु आरके श्रीवास्तव की जब फ़ोन पर बातें हुईं तो पुरानी बातें ताज़ा हो गयीं। आरके श्रीवास्तव बताते हैं कि सरकारी शिक्षक होते हुये भी अक्षत के पिताजी BPSC की तैयारी में लगे रहते है, जब अपने पिताजी को अक्षत लगातार 10 घंटे पढते देखता था तो वह खुद सोचने पर मजबूर हो जाता था कि पिताजी आज भी इतने देर पढ़ते हैं तो मुझे भी सफल होना है तो खूब पढ़ना पड़ेगा।
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आरके श्रीवास्तव अक्षत के पिताजी राजकिशोर ठाकुर को अन्य अभिभावको के लिये रोल मॉडल बताते हैं और उनके पद चिन्हों पर चलने की सलाह देते हैं, जो खुद अपने बेटे के साथ बैठकर पढ़ते थे।
आरके श्रीवास्तव ने बताया कि अच्छा लगता है जब बीज नन्हा सा पौधा का रूप धारण करता है और जब हम बड़े जतन से उसमें खाद पानी डालते हैं, कीटनाशक छिड़क कर उसे बचते हैं।
वह अहसास तो सच में कमाल का होता है जब हमारे सामने मीठे फलों से लदा हुआ वृक्ष होता है। ऐसा ही अहसास मुझे हुआ जब गाँव के हमारे स्टूडेंटस सफल होकर इंजीनियर बनते हैं।
कौन है आरके श्रीवास्तव
सैकड़ों गरीबों को आईआईटी, एनआईटी, बीसीईसीई, एनडीए सहित देश के प्रतिष्ठित संस्थानो में दाखिला दिलाकर उनके सपने को पंख लगाया है। संसाधन की कमी के बाबजूद आर के श्रीवास्तव ने पढ़ाना आरंभ कर आज जो मुकाम हासिल किया है और जिस तेजी से उस पथ पर अग्रसर होते हुए गरीब स्टूडेंट्स को इंजीनियर बना रहे हैं उसकी जितनी भी प्रशंसा की जाए वह कम है। राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद भी आर के श्रीवास्तव के शैक्षणिक कार्यशैली से काफ़ी प्रभावित हो प्रशंसा कर चुके हैं।