
बांदा डीवीएनए। बुन्देलखंड में कृषि की दशा और दिशा बदलने की बुझती आस फिर क्या जगेगी? यह सवाल इस लिये उठने लगा है क्योकि बुंदेली किसानी को प्रगति का बेहतर मुकाम देने के लिए अब कृषि विश्वविद्यालय तीन दिवसीय किसान मेला आयोजित कर रहा है। इसमें सात राज्यों के किसान, वैज्ञानिक व कृषि विशेषज्ञ भाग लेंगे। जिनके मंथन व मंत्रणा से बुंदेलखंड की कृषि को एक नई दिशा मिलने की उम्मीद जताई जा रही है।
बांदा के कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय में सात राज्यों का तीन दिवसीय किसान मेला 20 फरवरी से शुरू हो रहा है। उदघाटन कार्यक्रम में मुख्यमंत्री का कार्यक्रम भी प्रस्तावित बताया जा रहा है। साथ ही उत्तर प्रदेश, पंजाब, हरियाणा व जम्मू कश्मीर सहित सात राज्यों के कृषि क्षेत्र से जुड़े विभिन्न सरकारी व गैर सरकारी संस्थाएं, वैज्ञानिक इस आयोजन में हिस्सा लेकर अपनी तकनीकी, कौशल, उत्पाद एवं कृषि से जुड़ी जानकारियां प्रदर्शित करेंगे। विश्वविद्यालय के जनसंपर्क अधिकारी डॉ.बीके गुप्ता ने बताया कि राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन के लगभग डेढ़ सौ स्टाल लगेंगे। इनके स्वयं सहायता समूह अपने कार्यों को प्रदर्शित कर बुंदेलखंड के युवाओं, महिलाओं में नई शक्ति का संचार करेंगी, जिससे रोजगार के अवसर मिलने की संभावना है।
कुलपति डाक्टर यूएस गौतम का कहना है की कृषि एवं कृषि के क्षेत्र में अपार संभावनाएं हैं। भारत कृषि प्रधान देश है। बुंदेलखंड कृषि के मामलों में अन्य क्षेत्र से पिछड़ा है। लेकिन यहां भी संभावनाओं की कमी नहीं है। बुंदेलखंड में कृषि विकास के लिए विश्वविद्यालय में तीन दिवसीय किसान मेला आयोजित किया जा रहा है। जो यहां की कृषि की दिशा व दशा बदलने के लिए बड़ा प्रयास है।
संवाद विनोद मिश्रा