
बांदा डीवीएनए। “कौन कहता है आसमां में छेद नहीं हो सकता, एक पत्थर तो तबीयत से ऊछालो यारो”।वास्तव में यह कटु सत्य है की मेधा या योग्यता किसी रसूख की मोहताज नहीं होती है। यह अपने बलबूते भी परवान चढ़ती है। एक बार फिर यह बात उत्तर प्रदेश लोक सेवा आयोग के ताजा परिणामों ने सच कर दिखाया है।
फुटपाथ पर खोया बेचने वाले का बेटे को इस परीक्षा में दोहरी सफलता मिली। पिछले वर्ष आबकारी क्षेत्राधिकारी पद पर चयनित हुए तो अब उसका डिप्टी जेलर पद पर चयन हुआ है। उधर, छोटे से गांव में रह रहे लघु किसान के बेटे ने भी पीसीएस परीक्षा में सफलता हासिल कर सीनियर गन्ना विकास निरीक्षक पद हासिल किया है।
पीसीएस-2019 का अंतिम नतीजे में बांदा शहर के छोटी बाजार निवासी नारायण गुप्ता का चयन डिप्टी जेलर पद पर हुआ है। उसकी 8वीं रैंक है। इसके पूर्व वर्ष 2018 की पीसीएस में नारायण का चयन आबकारी क्षेत्राधिकारी पद पर हुआ था। खास बात यह बात है कि नारायण गुप्ता बेहद साधारण परिवार के हैं। पिता रमेश प्रसाद गुप्ता यहां चौक बाजार में फुटपाथ पर खोया बेचते हैं। मां सुशीला गुप्ता गृहणी के साथ डाकघर में एजेंट हैं। दोनों की गाढ़ी कमाई से बेटे नारायण ने बगैर किसी कोचिंग के घर पर ही पढ़ाई की। आर्थिक समस्याएं झेलीं।
नारायण का कहना है कि उसकी तमन्ना पर अभी विराम नहीं लगा है। लक्ष्य आईएएस बनने का है। लगातार तैयारी कर रहा है। बताया कि पीसीएस और आईएएस का सेलेबस एक जैसा हो गया है।
नारायण बताते हैं कि वर्ष 2016 में उसने पीसीएस में असिस्टेंट कमांडेंट, वर्ष 2017 में आरओ, वर्ष 2018 में युवा विकास अधिकारी पद की परीक्षा उत्तीर्ण की थी, लेकिन इंटरव्यू में सफलता नहीं मिली थी।
पीसीएस में सफलता हासिल करने वाला दूसरे मेधावी बबेरू तहसील के बेहद छोटे से गांव भदेहदू के लघु सीमांत किसान सत्यनारायण के बेटे पवन पटेल हैं। उसे पहले ही प्रयास में यह सफलता मिली है। प्रयागराज में तैयारी कर रहे थे। हालांकि, अभी भी उनका लक्ष्य आईएएस बनना है। शिक्षा बबेरू के जेपी शर्मा कॉलेज और बांदा के कृषि विश्वविद्यालय में भी हुई।
पवन का कहना है कि उसे मामा लवलेश पटेल और भइया केके पटेल की खास प्रेरणा और सहयोग मिला। गृहिणी मां अवधेश कुमारी और भाई सुधीर पटेल सफलता पर बेहद खुश हैं।
संवाद विनोद मिश्रा