
बांदा डीवीएनए। जीआईसी के खेल मैदान में शासनादेश की अवहेलना कर प्रदर्शनी लगाने की एक बार फिर स्वीकृति दे दी गई है। आखिर ऐसा क्यों किया जा रहा है। सिटी मजिस्ट्रेट को क्या शासनादेश की जानकारी नहीं है?यह तो बहुत ही आश्चर्यजनक बात है।
आपको बता दें कि शासनादेश सं. 960/15-9-12-2003(66)/2012/दिनांक 29-6-2012 एवं शासनादेशसं1008/15-9-2003(66)/2012 दिनांक 12 अक्टूबर 2012 मे निहित प्रावधानो के तहत छात्रों के हितों को दृष्टिगत रखते हुये कालेजों के मैदान में खेल कूद, योग व्यायाम के अलावा किसी भी तरह के कार्यक्रमो पर रोक है, इसके बावजूद कानपुर की एक संस्था को राजकीय इंटर कालेज का मैदान प्रदर्शनी के लिये आवंटित कर देनें का क्या उद्देश्य है? इसका मतलब तो यही लगाया जा रहा है कि कुछ न कुछ तो दाल में काला है!
यहां हम आपको बता दें कि जिला मुख्यालय में मेला या प्रदर्शनी लगाने के लिये संकट मोचन मंदिर के सामने प्रशासन द्वारा निर्धारित शुल्क प्रति दिन तीन हजार रुपए पर दिया जाता है, लेकिन इस शुल्क की बचत के लिये जीआईसी का मैदान ले लिया जाता है। अभी पिछले माह यही ग़लती हुई थी पर जब मामला उछला तो डीएम आनन्द सिंह नें प्रदर्शनी का कार्यकाल बढ़ाने पर रोक के निर्देश दिये थे। अब पुराने सिटी मजिस्ट्रेट का स्थानांतरण हो चुका है। नये सिटी मजिस्ट्रेट आये है, हो सकता है कि उन्हें शासनादेश की जानकारी न हो परंतु संबंधित लिपिक को तो प्रदर्शनी की पत्रावली आने पर सिटी मजिस्ट्रेट के संज्ञान में शासनादेश लाना चाहिये था।
इधर बोर्ड की परीक्षायें शुरू होगी। इसके अलावा जीआईसी में परीक्षा पुस्तिकाओं का मूल्यांकन भी होता है।प्रदर्शनी से परीक्षा और मूल्यांकन में ध्वनि प्रदूषण बाधक बनेगा। जीआईसी के प्रेंंसपल को भी शासनादेश के बारे में जानकारी है फिर उन्होनें खेल मैदान में प्रदर्शनी के लिये अपनी ओर से नो आब्जेक्शन कैसे दिया?आखिर इनका क्या इंट्रेस्ट है?
इस संदर्भ में शहर के कुछ नागरिकों नें आयुक्त को पत्र देकर वस्तु स्थिति से अवगत कराया है। मांग की है कि राजकीय इंटर कालेज एवं नेहरू महाविद्यालय के खेल मैदान मेला या प्रदर्शनी के लिये आवंटित न की जाये। इन सबके लिये जहीर क्लब का मैदान सशुल्क निर्धारित है। जिला धिकारी आनन्द सिंह से तो यही उम्मीद है कि की वह इस संदर्भ में कार्यवाई कर शासनादेश का पालन करवायेंगें ताकि परीक्षा औऱ मूल्यांकन कार्य में डिस्टर्ब न हो तथा राजस्व को होने वाली क्षति से बचा जा सके।
विनोद मिश्रा