आगरा। (डीवीएनए)दयालबाग एजुकेशनल इंस्टीट्यूट में मंगलवार को डीईआई के अवसर पर विशिष्ट व्याख्यान का आयोजन दीक्षांत सभागार में किया गया। कार्यक्रम में स्टैनफोर्ड विश्वविद्यालय अमरीका के जैव अभियांत्रिकी विभाग के एसोसिएट प्रोफेसर डॉ मनु प्रकाश ने व्याख्यान देते हुए कहा कि मितव्ययी नवाचार जिज्ञासा प्रेरित विज्ञान का जनतांत्रीकरण’।
डॉ प्रकाश ने कहा कि अभियांत्रिकी के अधुनातन संकटों पर विचार करते हुए सबसे पहले हमारा ध्यान किसी भी निर्माण की लागत की ओर जाना चाहिए; क्योंकि इससे निर्माण की पहुँच कुछ सौ लोगों के बीच से निकलकर लाखों लोगों तक हो जाती है।
हमारे प्लेनेट की मौजूदा समस्याओं पर विचार करते समय किसी प्रोजेक्ट की लागत पर विचार करना आज बहुत महत्त्वपूर्ण हो गया है। उन्होंने आगे कहा कि खुद उनकी लैब में समाधान तैयार करते समय संसाधन की उपलब्धता, खासकर वैश्विक स्वास्थ्य, क्षेत्रीय उपचारों और विज्ञान शिक्षा के संदर्भ का ध्यान विशेष तौर पर रखा जाता है।
अपने द्वारा निर्मित कुछ महत्त्वपूर्ण परियोजनाओं का भी उन्होंने उल्लेख किया जिसमें सामान्य से कम लागत में फोल्डस्कोप (कम लागत वाली माइक्रोस्कोप), ओस्कैन (मुख कैंसर को स्कैन करने की मशीन ), पंचकार्ड माइक्रोफ्लुइडिक्स (रसायन विज्ञान किट), वेक्टरकैप और एबज़ (मच्छर प्रजातियों का पता लगाने और पहचानने के लिए ), पेपरफ्यूज ,मलेरिया स्कोप (डायग्नोस्टिक्स),
प्लैंकटोन स्कोप(महासागर की विविधता का पता लगाने का यंत्र ) और COVID-19 के लिए लार के जरिए तेजी से पता लगाने वाला कम लागत का यंत्र बनाया गया है। उन्होंने इस बात पर भी ज़ोर दिया कि मितव्ययी विज्ञान के औजारों का अगर ठीक से विकास कर लिया जाए तो विज्ञान की समाज के बड़े दायरे में पहुँच संभव होगी और वैज्ञानिक शिक्षा का प्रसार भी संभव होगा।
उन्होने डी ई आई के वाह्य सक्रियता आधारित कार्यक्रमों की प्रशंसा भी की और कहा कि मध्यप्रदेश के राजाबरारी और दूसरे आदिवासी इलाकों में वंचित तबकों के वैज्ञानिक शिक्षा और उनकी जरूरत को पूरा करने लायक प्रयोग आधारित उपकरण का निर्माण बहुत प्रशंसनीय है। डॉ प्रकाश ने अफ्रीका और एशिया के देशों का उदाहरण देकर बताया कि सस्ती और सुलभ स्वास्थ्य सेवा और शिक्षा समाधान उपलब्ध कराना एक बड़ी चुनौती है। उन्होंने मानवता की दिन-प्रतिदिन की समस्या को हल करने में नए समाधान लाने के लिए एक संकट को एक अवसर में बदलने के महत्व का उल्लेख किया।
तपेदिक और मलेरिया का पता लगाने के लिए रक्त-नमूनों के परीक्षण के लिए बहुत सस्ती चिकित्सा उपकरणों के लिए उनका संदर्भ उल्लेखनीय था। डॉ. मनु ने कहा कि स्टैनफोर्ड में उनकी प्रयोगशाला ‘प्रकाश’ ने COVID-19 का पता लगाने के लिए सिर्फ एक डॉलर के चिकित्सा उपकरण का आविष्कार किया है।
फोल्डस्कोप जैसे अभिनव उत्पाद उन लाखों बच्चों को विज्ञान शिक्षा प्रदान करना संभव बना रहे हैं जिनके पास उचित स्कूली शिक्षा और प्रयोगशालाओं तक पहुंच नहीं है। उन्होंने वर्णन किया कि मेडागास्कर जैसे देशों में, लोगों को चिकित्सा सहायता प्राप्त करने के लिए बारह घंटे तक पैदल यात्रा करनी पड़ती है।
इसलिए, ऐसे देशों में केवल कम लागत, सस्ती और सुलभ नवाचार के माध्यम से स्वास्थ्य और शिक्षा की समस्याओं को हल किया जा सकता है।श्रद्धेय प्रो. पी.एस. सत्संगी, अध्यक्ष, शिक्षा सलाहकार समिति, दयालबाग एजुकेशनल इंस्टीट्यूट ने रोजमर्रा के आचरण में स्वच्छता के महत्व का उल्लेख किया जो किसी भी मनुष्य की प्रतिरक्षा को कई गुना तक बढ़ा सकता है।
बर्तन और खाद्य पदार्थों को साफ करने के लिए पोटेशियम परमैंगनेट का उपयोग स्वस्थ जीवन के अच्छे प्रभावों को बढ़ाने में बहुत महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। उन्होंने बताया कि इस तरह की प्रथाएं केवल आध्यात्मिकता या धर्म से संबंधित नहीं हैं, बल्कि विशुद्ध रूप से वैज्ञानिक सिद्धांतों पर आधारित हैं। आज के कार्यक्रम की शुरुआत में, प्रो. सी मारकन ने जहां डीईआई@40 के अवसर पर विशिष्ट व्याख्यान की पृष्ठभूमि के बारे में जानकारी दी वहीं प्रो. के स्वामी दया ने दयालबाग एजुकेशनल इंस्टीट्यूट की गतिविधियों में किए जा रहे उल्लेखनीय कार्यों का विवरण दिया। डॉ. बानी दयाल धीर ने मुख्य अतिथि का परिचय दिया और प्रो सी पटवर्धन ने धन्यवाद ज्ञापन किया।
ध्यातव्य है कि डी ई आई अपने डीम्ड विश्वविद्यालय होने के 40वें वर्ष में प्रवेश करने के उपलक्ष्य में विशेष व्याख्यानों की शृंखला डीईआई@40 के तहत संचालित कर रहा है। डी ई आई को 1981 में डीम्ड विश्वविद्यालय का दर्जा मिला था। इस अवसर पर डी ई आई में शिक्षा की प्रगति तथा इसके विभिन्न आयामों को दर्शाते हुए एक लघु वीडियो फिल्म भी दिखाई गयी। साथ ही सांस्कृतिक आयोजन भी किए गए, जिसमें कव्वाली तथा नन्हें-मुन्हें बच्चों की ओर से स्वास्थ्य-रक्षा पीटी का आयोजन प्रमुख रहा।
संवाद:- दानिश उमरी
Digital Varta News Agency