
बांदा डीवीएनए। वन विभाग कथित अरबो के घोटाले में आकंठ फंस सा गया हैं। अधिकारयो में गजब की छटपटाहट देखने को मिल रही हैं। दिन का चैन औऱ रात की नींद हराम हो गई है।
आपको बता दें की कथित हरियाली चोरोंकी दिलों की धड़कनें क्यों बढ़ी हुई है?जनहित याचिका पर हाईकोर्ट द्वारा बुंदेलखंड में 300 करोड़ रुपये के पौधरोपण पर प्रदेश सरकार और वन विभाग से जवाब तलब करने के बाद अब वन विभाग प्रधान महालेखाकार (पीएजी) आडिट में उजागर हुई खामियों पर कार्रवाई के दायरे में है। बुंदेलखंड सहित प्रदेश के अन्य मंडलों में पीएजी ने पौधरोपण के नाम पर एक करोड़ सात लाख रुपये गड़बड़ी पकड़ी है।
वन विभाग के अपर प्रधान मुख्य वन संरक्षक विद्या सागर प्रसाद ने बुंदेलखंड सहित अन्य मंडलों के दोषी अधिकारियों और कर्मचारियों पर अनुशासनात्मक कार्रवाई के निर्देश दिए ।
पिछले एक दशक में बुंदेलखंड में पौधरोपण में 300 करोड़ रुपये खर्च होने में गड़बड़ियों का आरोप लगाते हुए आरटीआई एक्टीविस्ट बांदा के आशीष सागर दीक्षित ने इलाहाबाद हाईकोर्ट में वकीलों के जरिए जनहित याचिका दायर की । हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस की दो सदस्यीय बेंच ने प्रदेश सरकार और बुंदेलखंड के संबंधित वन विभाग के संबंधित अधिकारियों से 15 फरवरी तक ब्योरे सहित जवाब दाखिल करने का आदेश दिया है।
उधर, अब प्रधान महालेखाकार के ऑडिट में पिछले वर्षों एक करोड़ 7 लाख 5 हजार रुपये की गड़बड़ी पाए जाने पर प्रदेश के अपर प्रधान मुख्य वन संरक्षक ने बुंदेलखंड जोन सहित कानपुर मंडल, लखनऊ मंडल, प्रयागराज क्षेत्र सहित प्रदेश के कई मंडलों के मुख्य वन संरक्षकों को पत्र जारी कर प्रधान महालेखाकार के पत्र का हवाला देकर कहा कि इसमें दोषी अधिकारी और कर्मचारी के विरुद्ध अनुशासनात्मक कार्रवाई करते हुए विभाग के आडिट ई-मेल पर सूचना उपलब्ध कराएं, ताकि अगली कार्रवाई की जा सके।
मुख्य वन संरक्षक ने इसके लिए 13 जनवरी तक की मोहलत दी थी। पत्र में कहा कि निर्धारित अवधि में सूचना न प्राप्त होने पर संबंधित मुख्य वन संरक्षक को व्यक्तिगत रूप से उत्तरदायी मानते हुए शासन को सूचित करने पर विचार किया जाएगा।
संवाद विनोद मिश्रा