बांदा डीवीएनए। पांच वर्षीय गांव की सरकार क्रिसमस की आधी रात को विदा हो जाएगी। गांव प्रधान विहीन हो जाएंगे। पंचायत प्रतिनिधियों के अधिकार छिन जाएंगे। इनमें चित्रकूटधाम मंडल के 1408 ग्राम प्रधान भी शामिल हैं। प्रधानों के सभी अधिकार आधी रात के बाद खत्म होने संबंधी शासनादेश जारी हो गया है। 25 दिसंबर के बाद ग्राम स्वराज पोर्टल पर ग्राम प्रधानों का डिजिटल सिग्नेचर सर्टिफिकेट निष्प्रभावी कर दिया जाएगा। ग्राम पंचायत निधि से संबंधित कोई चेक/भुगतान मान्य नहीं होगा। बैंकों को इसकी जानकारी दी गई है।25 दिसंबर 2015 को चुनाव के बाद ग्राम पंचायतों का गठन हुआ था। प्रधान और सदस्यों ने गांव की सरकार संभाली थी। पांच वर्ष का कार्यकाल शुक्रवार 25 दिसंबर को पूरा हो रहा है। नए त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव की तैयारियां शुरू हो गई हैं। उधर, खत्म हो रहे कार्यकाल पर शासन ने जिलाधिकारियों को जरूरी आदेश और दिशा-निर्देश जारी कर दिए हैं।
पंचायती राज विभाग निदेशक किंजल सिंह ने सभी जिलाधिकारियों को भेजे पत्र में कहा है कि ग्राम पंचायत निधि, पंचम राज्य वित्त आयोग, 15वें वित्त आयोग से संबंधित किसी भी कार्य का चेक के माध्यम से ग्राम प्रधान लेन-देन नहीं कर सकेंगे। न ही कोई काम शुरू करा सकेंगे।
निदेशक ने कहा है कि प्रधानों को इस बाबत पत्र लिखा जाए कि ग्राम पंचायत निधि के किसी भी मद में चेक स्वीकार नहीं करेंगे। ई-ग्राम स्वराज पर ग्राम प्रधान द्वारा कोई एफटीओ एप्रूव किया जाता है तो इसके लिए जिला पंचायत राज अधिकारी, ग्राम पंचायत सचिव व सहायक विकास अधिकारी को जिम्मेदार मानते हुए कठोर कार्रवाई अमल में लाई जाए।
चित्रकूटधाम मंडल में ग्राम पंचायतेंबांदा में470,चित्रकूट335,हमीरपुर330,महोबा 273 हैं।लेकिनप्रशासक को लेकर स्थिति स्पष्ट अभी स्पष्ट नहीं है।प्रभारी डीपीआरओ संजीव बघेल का कहना है कि प्रधानों का कार्यकाल खत्म होने पर उनका दायित्व किसे सौंपा जाए? इसके कोई दिशा निर्देश अभी प्राप्त नहीं हुए हैं। पंचायत निदेशक के निर्देशों में भी प्रशासक को लेकर स्थिति स्पष्ट नहीं है। हालांकि सहायक विकास अधिकारियों को प्रशासक बनाए जाने की संभावना जताई जा रही है।
अब जनपद के नए डीपीआरओ सर्वेश कुमार पांडे होगें।पंचायती राज विभाग के अपर मुख्य सचिव मनोज कुमार ने जिलाधिकारी को भेजे गए पत्र में कहा कि निदेशालय में संबद्ध सर्वेश कुमार को बांदा का जिला पंचायत राज अधिकारी बनाया गया है। यह पद पिछले डेढ़ माह से रिक्त था।
दरसल कोरोना के चक्कर में चुनाव तिथियां बढ़ गई।त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव 25 दिसंबर 2020 के पहले हो जाने चाहिए थे, लेकिन कोरोना संक्रमण आड़े आ गया। अब ये अगले वर्ष फरवरी-मार्च में कराए जाने के आसार हैं। पंचायतों के परिसीमन और मतदाता पुनरीक्षण का काम तेजी से चल रहा है। उधर, गांव की नई सत्ता हथियाने के लिए प्रधान से लेकर पंचायत सदस्य तक ने अपनी गोटें बैठानी शुरू कर दी हैं। गांव में चुनावी चर्चाएं और माहौल दिन-ब-दिन परवान चढ़ रहा है।
प्रधानों को जमा करना होंगे अभिलेख के बस्ते,क्योकि
प्रधान चुने जाने के बाद उसको को पंचायती राज विभाग की ओर से एक बस्ता दिया जाता है। जिसमें गांव से संबंधित सभी प्रकार के अभिलेख और वित्तीय लेन-देन के लिए डोंगल तथा स्वच्छ भारत मिशन में इस्तेमाल होने वाली चेकबुक इत्यादि होती हैं।
25 दिसंबर की आधी रात कार्यकाल खत्म होते ही प्रधानों को ये बस्ते पंचायती राज विभाग में वापस जमा करने होंगे। उनका डोंगल डिएक्टिवेट (निष्प्रभावी) कर दिया जाएगा। वे कोई भी प्रशासनिक व वित्तीय कार्य नहीं कर सकेंगे। उधर, कार्यकाल के अंतिम दिनों में लगभग हरेक ग्राम पंचायत में प्रधान बजट खपाने की जुगत में जुटे रहे। मिड-डे मील, प्रधानमंत्री आवास योजना के आवास आवंटन आदि को लेकर ज्यादा सरगर्मियां रहीं।
संवाद विनोद मिश्रा
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आज रात प्रधानों की विदाई, नए चुनाव की बारी आई
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