आया रे भैया आया, विधान सभा चुनाव का त्यौहार।
इसी से लगता है नेताओं का बदल गया है व्यवहार।
नेताजी घर-घर, घुम-घुम कर अपने समर्थन हेतु गाते है मल्हार।
पेंशनविहीन साथी मौका पाते ही नेताजी पर प्रश्नों का करते है प्रहार।
दे रहे है नेताजी,पुरानी पेंशन दिलवाने का भरपुर आश्वासन।
सिर्फ एक ही आवाज लगाते है मुझे भी भेज दो सत्ता के आसन।
फिर आना लखनऊ तुम्हारी माॅग है जायज, जिस पर होगा विचार।
अरे पेंशन मिले या ना मिले, कुछ तो मिलेगा ही, लाठी ले लेना दो चार।
अरविन्द राय के तरफ से ऐसे नेताओं को एक बार नहीं, हजार बार है नमस्कार।
साथियों आप से अपील है, पेंशन तो बाद में पहले बनवाओं इनकी सरकार।
सभी साथियों को है शुभ प्रभात
🙏
इसी से लगता है नेताओं का बदल गया है व्यवहार।
नेताजी घर-घर, घुम-घुम कर अपने समर्थन हेतु गाते है मल्हार।
पेंशनविहीन साथी मौका पाते ही नेताजी पर प्रश्नों का करते है प्रहार।
दे रहे है नेताजी,पुरानी पेंशन दिलवाने का भरपुर आश्वासन।
सिर्फ एक ही आवाज लगाते है मुझे भी भेज दो सत्ता के आसन।
फिर आना लखनऊ तुम्हारी माॅग है जायज, जिस पर होगा विचार।
अरे पेंशन मिले या ना मिले, कुछ तो मिलेगा ही, लाठी ले लेना दो चार।
अरविन्द राय के तरफ से ऐसे नेताओं को एक बार नहीं, हजार बार है नमस्कार।
साथियों आप से अपील है, पेंशन तो बाद में पहले बनवाओं इनकी सरकार।
सभी साथियों को है शुभ प्रभात
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