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बालू खदान में गोलीबारी के बाद तनाव, अज्ञात पर मुकदमा

बांदा डीवीएनए। जिले की नरैनी तहसील क्षेत्र के बिल्हरका खदान में रास्ते को लेकर को हुए विवाद में गोलीबारी के बाद खामोश पुलिस हरकत में दिखी। अब तक जहां पुलिस घटना से इन्कार कर रही थी वहीं फायरिंग में घायल के साथी की तहरीर पर एक अज्ञात के खिलाफ मामला दर्ज किया गया। हालाकि प्रशासन जहां मामले को दबाने की कोशिश में लगा है, तो वहीं पुलिस भी पूरे मामले पर नजर बनाए हुए है।
बता दें की सीमा क्षेत्र व रास्ते को लेकर खदान संचालकों के बीच विवाद हो गया था। इसमें दोनों के बीच गोलीबारी भी की गई। इसमें एक युवक घायल हो गया था। जिसे उपचार के लिए कानपुर ले जाया गया । केन नदी के बिल्हरका घाट पर हुई घटना से स्थानीय लोग दहशत में हैं। इधर, एक कंपनी के कर्मचारी बस्ती जिले के बनगवां निवासी मुबीन अहमद ने अज्ञात में खिलाफ रिपोर्ट दर्ज कराई है।
मुबीन ने पुलिस को बताया कि घटना की रात गांव की एक पुलिया के समीप बिदकी निवासी अनुराग बैठा था। तभी एक बोलेरो में सवार तीन चार लोग पहुंचे और जान से मारने की धमकी देते हुए फायरिंग कर दी। गोली लगते ही अनुराग नीचे गिर पड़ा और हमलावर निकल भागे। घायल को निजी वाहन से सीएचसी लेकर पहुंचे, जहां से जिला अस्पताल फिर कानपुर रेफर कर दिया गया।
नरैनी कोतवाली प्रभारी सविता का कहना है की मामला दर्ज हो जाने के बाद हमलावरों की खोजबीन की जा रही है। इलाके पर कड़ी नजर है। जल्द हमलावर गिरफ्तार कर लिए जाएंगे।
अवगत हो की बिल्हरका केन घाट पर बांदा के अलावा एमपी के छतरपुर और पन्ना की खदानें संचालित हैं। सीमांकन भी अलग अलग है। खंड एक विनय सिंह के नाम 26 करोड़ रुपये में 25 हेक्टेयर भूमि स्वीकृत है, जो मध्य प्रदेश की भूमि का हिस्सा बताया गया है। नदी से बालू निकाल कर ले जाने के लिए रास्ते का विवाद हमेशा बना रहता है। सीमा क्षेत्र को लेकर वह हाईकोर्ट तक जा चुका है।
पिछले रिकॉर्ड को देखा जाए तो इस खदान में कई बार मौरंग के ठेकेदारों व उनके आदमी आमने सामने आ चुके हैं। ठेकेदार विनय ने इस बाबत हाईकोर्ट की शरण ली, जिसके बाद सीमा क्षेत्र का हल करने सोमवार को संयुक्त टीम पैमाइश करने गई थी मगर मध्य प्रदेश शासन के अधिकारियों की ना मौजूदगी में सीमा का कोई हल नहीं निकल सका।
इलाकाई लोग बताते हैं कि ओवरलोड वाहनों ने यहां के रास्ते खा लिए हैं। कई बार हादसे भी हो चुके हैं। विरोध करने पर असलहाधारी गुर्गे धमकी तक देते हैं। जिन पर अवैध काम पर अंकुश लगाने की जिम्मेदारी है, वह सेटिग के चलते आंख-मुंह बंद रखते हैं।
रास्ते को लेकर हुए विवाद के बाद प्रशासनिक अमले की सतर्कता देख मौरंग खदानों का काम एक तरह से ठप हो गया। हालांकि यूपी क्षेत्र में मशीनों की गरज जरूर थम गई, पर एमपी क्षेत्र के घाट चालू हैं। घाटों पर सन्नाटे का आलम नजर आने लगा है। जबकि मध्यप्रदेश के हर्रई ,चांदीपाटी, हिनौता की खदानें निरंतर संचालित हो रही हैं। इधर, करतल व नरैनी पुलिस ने जांच की औपचारिकता पूरी की।
संवाद विनोद मिश्रा

Digital Varta News Agency

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