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धान खरीद के नाम पर किसानों शोषण, मालामाल हो रहे बिचौलिये!

बाँदा डीवीएनए। सरकार जहां किसानों की आय 2022 तक दूना करने का दम भर रही है वहीं धान खरीद के नाम पर अधिकारी क्रय केंद्रों पर किसानों का खुलेआम शोषण कर रहे हैं। किसानों की खतौनी पर बिचौलिये के धान की खरीद हो रही है और किसानों की ट्राली 10-10 दिन तक क्रय केंद्र पर खड़ी करा दी जा रही है।

जब ट्राली में पड़ा धान शीत की वजह से खराब हो रहा है तो किसानों के साथ कटौती का खेल खेला जा रहा है। किसान परेशान है। एक तरफ विभाग की मनमानी तो दूसरी तरफ हजारो रूपये ट्राली का किराया उनपर भारी पड़ रहा है।

बता दें कि जिले में धान की खरीद के लिए 49 क्रय केंद्र खोले गए है। शासन द्वारा धान खरीद का लक्ष्य 75 हजार एमटी रखा गया है। 15 अक्टूबर से खरीद शुरू है और अब तक मात्र 51000 एमटी धान की खरीद हुई है। यानि की विभाग लक्ष्य के सापेक्ष 70 प्रतिशत का भी आंकड़ा नहीं छू पाए है। इसके बाद भी किसानों का धान खरीदने में आनाकानी की जा रही है।

क्रय केंद्रों पर किसानों को पहले तो नंबर नहीं दिया जा रहा है। अगर किसान किसी तरह नंबर पा भी गया तो उसकी धान लदी ट्राली 10-10 दिन तक केंद्र पर खड़ी करा दी जा रही है। ज्यादातर किसान किराये की ट्राली से धान भेजते हैं। उन्हें 300 से 500 रूपये तक प्रतिदिन ट्राली का किराया देना होता है। अगर एक हफ्ते भी किसान की ट्राली क्रय केंद्र पर खड़ी हो गयी तो उसे हजारो रूपये किराया देना पड़ता है। धान की सारी बचत किराये में चली जा रही है।

यही नहीं किसानों के सूखे धान को भी नम बताकर, रोग ग्रसित बताकर अथवा डंकल बताकर उनका खुलेआम उत्पीड़न किया जा रहा है। इसके नाम पर खुलेआम कटौती भी की जा रही है। यहीं नहीं जो किसान कर्मचारियों की नहीं सुनता उसका धान किसी न किसी बहाने से वापस कर दिया जा रहा है।

हालत यह है कि किसान परेशान है। वहीं दूसरी तरफ बिचैलियों गांवों में 1200 रूपये कुंतल ए ग्रेड धान खरीद रहे है और अपने खास लोगों की खतौनी पर पंजीकरण कराकर खुद केंद्र पर धान पहुंचा दे रहे हैं। उनका धान तौलने में कोई कोताही नहीं की जा रही है। कारण कि वे क्रय केंद्र पर पहले से सेटिंग बनाकर बैठे है। उनका धान छुट्टी के दिन भी वजन हो जा रहा है।

किसान वंशु पटेल, वीरेंद्र पटेल, ज्ञानबाबू , राजकिशोर, संतोष पटेल, फूलचन्द्र , आनंदी, राजेश सिंह आदि का कहना है कि क्रय केंद्र पर कभी धान में कंडुआ रोग लगने का बहाना बनाया जा रहा है तो कभी धान नम बताकर वापस किया जा रहा है। जबकि वहीं धान जब बिचैलियों के माध्यम से जा रहा है तो उसे तत्काल खरीद लिया जा रहा है। केंद्र पर 10-10 दिन तक ट्राली खड़ी करा दी जा रही है। बोरा तक किसानों से मंगवाया जा रहा है। हालात बदतर हो गए हैं।

आधिकारी शिकायत को गंभीरता से नहीं ले रहे हैं। क्रय केंद्र पर किसानों के बैठने तक की व्यवस्था नहीं है।

वहीं मौके पर पहुँचे बसपा नेता कमलेश साहू ने कहा है कि शासन की मंशा अनुसार 300 कुंटल धान की खरीद प्रति दिन प्रति केंद्र में किया जाना निश्चित किया गया है जो केंद्र प्रभारियों द्वारा नहीं किया जा रहा साथ ही टोकन व्यवस्था अनिवार्य रूप से लागू किया जाना चाहिए इससे आने वाले छोटे व मध्यम वर्गीय किसानों को जो किराए की ट्राली लाकर महीनों इंतजार करते है उन्हें हजारों रुपये जो किराए के रूपये में घाटा लग रहा है ,इस टोकन व्यवस्था को सही ढंग से लागू करने से किसानों के व्यय भार में कमी आएगी, उनकी मांग है कि टोकन व्यवस्था को लागू किया जाय।

वही अपना दल एस पार्टी बबेरू के विधानसभा अध्यक्ष अरुण कुमार पटेल ने किसानों की समस्याओं को लेकर जब मंडी प्रभारी से फोन के माध्यम संपर्क किया तो मंडी प्रभारी आवाज न आने व नेटवर्क की समस्या बताकर बात करने से बचता रहा, अरुण कुमार पटेल जी का कहना है कि अगर किसानों के धान खरीद में कोई लीपापोती की गई तो उच्च अधिकारियों को अवगत कराकर मंडी अधिकारियों के खिलाफ कड़ी कार्यवाही करवाई जाएगी।

पुनः हमारी मांग है कि धान क्रय केंद्रों पर किसानों के उपज की खरीद सुचारु ढंग से हो, इसके लिए प्रशासन लगातार धान क्रय केंद्रों का निरीक्षण व केंद्र प्रभारियों को जरूरी निर्देश दे । खरीद कार्य में लापरवाही बरतने वालों पर प्रशासन की तरफ से कड़ी कार्रवाई भी सुनिश्चित की जाए।

वही डिप्टी आरएमओ गोविंद उपाध्याय का कहना है कि धान खरीद केंद्र में किसानों की कोई टोकन व्यवस्था नही की जा सकती है क्योंकि टोकन व्यवस्था लागू करने के लिए कोई कर्मचारी नही है , उनका कहना है कि अगर मंडी प्रभारी टोकन लागू करेगा तो खरीद कौन करेगा ? या यूं कहें कि आर एम ओ के तानाशाही रवैये के चलते मंडी प्रभारी किसानो के साथ क्रय केंद्रों में लूट पाट कर रहे है , सरकार की मंशा के खिलाफ कार्य करने में व्यस्त है।
संवाद विनोद मिश्रा

Digital Varta News Agency

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