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लापरवाही की हद: डीएम करें हस्तक्षेप, आसमां तले पड़ा धान और विभाग बना निकम्मा

बांदा डीवीएनए। हर साल की समस्या पर निदान के लिये व्यवस्था पर कोई विभागीय ध्यान नहीं। डीएम आंनद कुमार की इस दिशा में हस्तक्षेप की बहुत जरूरत हैं ताकि संबंधित विभाग की लापरवाही और निकम्मापन दूर हो सके।
हालत यह है की धान की खरीद और उठान में भारी अंतर है। नतीजतन खरीद केंद्रों में धान का भंडार बढ़ता जा रहा है। खुले आसमान तले रखा धान संभावित बारिश में भीगकर खराब होने का अंदेशा है। उठान और खरीद की स्थिति यह है कि अब तक मुख्यालय स्थित मंडी समिति के दो खरीद केंद्रों में 19,082 क्विंटल की खरीद हुई है और उठान सिर्फ 10,784 कुंतल हो पाई है।
राजकीय विपणन शाखा और भारतीय खाद्य निगम के खरीद केंद्र से किसानों की धान खरीद की जा रही है। विपणन शाखा का 40 हजार और खाद्य निगम का 35 हजार क्विंटल खरीद का लक्ष्य है। विपणन में 9586 क्विंटल खरीद के सापेक्ष 7490 क्विंटल और निगम ने 4496 क्विंटल खरीद के सापेक्ष 3294 क्विंटल का उठान हुआ है। दोनों केंद्रों के गोदाम फुल हो जाने के बाद बोरों को खुले आसमान तले रखना पड़ रहा है।
विपणन शाखा व खाद्य निगम के केंद्र प्रभारी पंकज कुमार व महेश राठौर ने बताया कि मिलर्स द्वारा धान में मानकों की कमी बताकर धान न लेने से उठान कम हो रही है, जबकि केंद्र में मानक के अनुरूप ही खरीद की जा रही है। मिलर्स टूटन निकलने की बात कहकर धान लौटा रहे हैं। इसके लिए उन्होंने अफसरों को अवगत कराया है।
संवाद विनोद मिश्रा

Digital Varta News Agency

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